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हमारा मुख्य उद्देश्य राजस्थान सहित भारत की लोक संस्कृति,गीत- संगीत को उनके मूल स्वरूप के साथ आधुनिक तकनीक के माध्यम से देश- दुनिया में पहुंचाना,हमारे लोक कलाकारों,लोकगीतों और लोक परंपराओं को उस गरिमा के साथ प्रस्तुत करना जिसके वे सच्चे अधिकारी हैं।यह यात्रा राजस्थान से शुरू होकर भारत की विविध लोक धाराओं तक जाएगी।स्वर माधुरी नए और उभरते कलाकारों को गरिमामय पहचान देते हुए भारत की लोक संस्कृति की जड़ों को सशक्त बनाएगी।

🎶 स्वर माधुरी संग संगीत की नई यात्रा में

आपका स्वागत है

राजस्थानी लोकगीत जो न केवल हमारे प्रदेश की पहचान हैं,बल्कि हमारी संस्कृति की आत्मा हैं।
राजस्थान की धरती जितनी कठोर है,उतनी ही कोमल इसकी भावनाएँ हैं।

यही भावनाएँ जब सुर और ताल में ढलती हैं,तो लोकगीतों का जन्म होता है।

हर गीत हमारी मिट्टी की खुशबू,हमारे लोकजीवन की सरलता और हमारी परंपराओं की गहराई को प्रकट करता है।
आज के इस तेज़ बदलते युग में,जब संगीत बाज़ार की दिशा में बह रहा है,तब राजस्थानी लोकगीतों के मूल स्वरूप को संरक्षित करते हुए संवर्धन एवं सृजन हमारा एक गंभीर दायित्व बन गया है।

हमें यह समझना होगा कि इन गीतों की आत्मा उनकी मौलिकता में बसती है — उनकी बोली,उनकी लय, उनके भाव और उनकी सहजता यदि खो गई तो लोकगीत केवल ‘गीत’ रह जाएँगे, ‘लोक’ नहीं।

संवर्धन का अर्थ है — इन्हें नई पीढ़ी तक जीवित पहुँचाना। इसके लिए हमें चाहिए कि लोक कलाकारों को उचित सम्मान और मंच मिले।साथ ही,सृजन भी उतना ही आवश्यक है।

लोकसंगीत को समय के साथ चलना चाहिए- पर उसकी जड़ें परंपराओं में रहनी चाहिए।
नए गीत रचे जाएँ जो आज के जीवन से संवाद करें, लेकिन जिनमें वही ‘राजस्थानी राग’ और ‘लोक की मिठास’ गूँजती रहे।

हम सबका यह दायित्व है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को केवल स्मृति में नहीं, बल्कि जीवन में जिंदा रखें।

लोक संगीत… वह मधुर अहसास जो दिल को छू जाता है, भावनाओं को शब्द देता है और रूह को सुकून देता है। इन्हीं भावनाओं के साथ हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं राजस्थानी लोक संगीत की स्वर्ण हस्ताक्षर,मरुधरा लोक संस्कृति संवाहक,संवर्धक, मरु कोकिला सीमा जी मिश्रा द्वारा लोक गीत-संगीत के संरक्षण,संवर्धन एवं सृजन के शुभ संकल्प के रूप में स्थापित उनके मार्गदर्शन में हमारी नई संगीत कंपनी स्वर माधुरी मल्टीमीडिया एलएलपी । जिसके माध्यम से दिव्य,विराट गौरवशाली राजस्थान की गरिमामय लोक-संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाने तथा संगीत को आत्मा से जोड़ने का यह एक अभिनव प्रयास है।


🎶 स्वर माधुरी संग संगीत की नई यात्रा में

तो मरुभूमि भी मल्हार गाने लगती है..."

राजस्थान की पावन धरती पर जन्मी,लोक-संगीत की माटी में पली-बढ़ी,और सुरों के आँचल में अपनी पहचान बुनती हुई,मरु कोकिला सीमा मिश्रा जी आज एक नए संगीत सफर की ओर अग्रसर हैं – एक ऐसा सफर, जहाँ लोक की सादगी, सुरों की मधुरता और हृदय की गहराई एक साथ गूँजने वाली है।
मेंह की गिरती बूंदों से रेत में उठती सोंधी-सोंधी महक की तरह मरु कोकिला सीमा मिश्रा जी के कोकिल कंठ से निकलते स्वर राजस्थानी संस्कृति को जीवंत करती है और हर दिल को मरुधरा की आत्मा से जोड़ देती है…स्वर कोकिल सीमा मिश्रा की गायकी में रेत की तपन में छिपी करुणा है और लोकजीवन की अनकही कहानियाँ हैं। इनके हर राग,हर ताल में छुपा है राजस्थानी लोक जीवन का रंग और रस जहां प्रेम,वीरता और भक्ति एक सुर में बंधते हैं।
मरुधर की आवाज जिनके हर सुर में बहता है जज़्बातों का सागर।
मरू कोकिला सीमा जी मिश्रा के हर गीत,हर सुर,हर बोल में झलकता है हमारे राजस्थान का रंग,उसकी परंपरा और उसकी आत्मा।

आइए हम यह संकल्प लें-
कि हम अपनी संस्कृति, लोकगीतों की इस अनुपम परंपरा को सहेजेंगे,सँवारेंगे और नई पीढ़ी तक पहुँचाएँगे।
यही होगा हम सबके द्वारा संरक्षण,संवर्धन और सृजन का एक सशक्त प्रयास।

आपसे हमारी बस एक विनती है —
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आपका हर समर्थन हमारे लिए प्रेरणा है,
और हमारे राजस्थान की लोक संस्कृति को जीवित रखने की एक अमूल्य भागीदारी भी।
आप सभी का साथ ही हमारी ताकत है।

धन्यवाद सा
जय राजस्थान,जय लोक संगीत!

आपका
शिव विनायक शर्मा

निदेशक
स्वर माधुरी मल्टीमीडिया एलएल

मरू कोकिला सीमा जी मिश्रा के हर गीत,हर सुर,हर बोल में झलकता है हमारे राजस्थान का रंग,उसकी परंपरा और उसकी आत्मा।